Siva Temples

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शिव मंदिर जिनपर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है

शिव मंदिर जिनपर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है संकेत स्थल – http://remoteoldtemples.blogspot.in/ करनी गाव – कांचीपुरम से उत्तीरामेरुर (मनामपथी से) के रास्ते में है। उत्तीरामेरुर से ७ किमी पर है। गाओ के बीचो बीच एक बड़ा शिव लिंग है। एक मंदिर के स्थापित होने के यहाँ कई प्रमाण है पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। गाओ वाले मंदिर बनाने की तैयारी कर रहे है। अधिक जानकारी के लिए – श्री सुब्रमणि 9629388949, श्री अदिमोलाम  9445273202, 9629072025 श्री देवम   9444367877 अम्मीपानल्लूर – उतीरामेरुर से ४ किमी पर धान के खेत में शिव लिंग का स्थान है। यह मंदिर बहार की तरफ है। अधिक जानकारी के लिए श्रीधर से संपर्क करे  –  9443556712 पालकालियमपूंडी – उत्तीरामेरुर ८ किमी पर है। झाँडीयो के बीच शिव लिंग स्थित है। एक सर्प हर रात्रि शिव लिंग के पास आता है। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे रमेश रेड्डीयार  – 9751035360 सलाभोगम – कांचीपुरम से ५ किमी पर पिल्लयार पलायम बस स्थानक के पास है। यहाँ कोई पूजा नहीं होती अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे श्री विनोद कुमार  –

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शिव मंदिरो के भोजन (खाद्य) अभिषेक

शिव मंदिरो के भोजन (खाद्य) अभिषेक – गंगई  कोंडा चोलापुरम वैशिष्ट्य –  दक्षिण भारत के ठुला महीने की पूरनमासी के दिन (नवंबर २०१४ , बृहस्पतिवार ) को यह अन्नाभिषेक शिव मंदिरो में किया जाता है। पारम्परिक अनुष्ठान –  यह अभिषेक साधारण जल,दूध , मधु से किया जाता आया है। अन्नाभिषेक में शिव लिंग को भोजन अर्पण करते है। अन्ना = भोजन। चावल और सब्ज़ियों को मिलकर पकाया जाता है। शिव लिंग को पहले चावल से फिर सब्ज़ियों और फिर फलो से सजाया जाता है। इसे १-२ घंटो तक ऐसे ही रख के महा आरती की जाती है। इस आरती के बाद यह प्रसाद भक्तो और जरुरतमंदो में बात जाता है ताकि अन्न व्यर्थ न जाये। बड़े मंदिरो में बोहोत ज्यादा भोजन बनता है। बृहदीश्वर मंदिर जो की तंजावूर में है शिव लिंग की ऊंचाई १२.५ फुट है। अनेको भक्तो की मदद से और चावल की बोहोत सारी बोरियो से यह अनुष्ठान किया जाता है। यह पूजा एक जागतिक प्रार्थना है भगवन शिव से की इस जग में अन्न की प्राप्ति हो और कही अकाल या सूखा न पड़े। अपना योगदान कैसे दे – 1) इस पावन अवसर के दौरान शिव मंदिर जायें 2) अभिषेक के लिए चावल, सब्ज़ियाँ और फल दान करे 3) अगर मंदिर नहीं जा पाये तो अपने घर के शिव लिंग का अभिषेक करेगंगई कोंडा चोलापुरम मंदिर है जहा महादेव को बृहदीश्वरर के नाम से जाना जाता है।  यह तंजावूर के भव्य मंदिर सामान ही है।  यह मंदिर अन्नाभिषेक के लिए जाना जाता है। ranslated by  Travel Operator Contact Informations:

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स्थान: – यह स्थान बस्मत उपखंड में महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित है। यह एक मराठवाड़ा क्षेत्र है और औंढा नागनाथ के तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। यह जगह औरंगाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर है।

मुख्य देवता: – भगवान शिव यहां अपने लिंग रूप में मौजूद है। यह मंदिर, देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक

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कामाख्या देवी मंदिर , असम (सात बहन राज्यों – Seven Sister States)

अरुणाचल प्रदेश, असम , मणिपुर, मेघालय, मिजोरम , नगालैंड और त्रिपुरा – सात बहन राज्यों अर्थात् पूर्वोत्तर भारत के सात

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दुर्गाबाड़ी – ह्यूस्टन , टेक्सास , अमेरिका संयुक्त राष्ट्र

स्थान :- ह्यूस्टन , टेक्सास , अमेरिका संयुक्त राष्ट्र मुख्य देवता :- यह मंदिर माँ दुर्गा को अर्पित है जो शक्ति का

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वेत्रिमलै मुरुगन मंदिर – पोर्ट ब्लेयर, अंदमान और निकोबार द्वीप ,भारत

अंदमान और निकोबार द्वीप समूह में भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का एक उदाहरण है । आदिवासी जनजातियों से

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दक्षिण मंत्रालय , पप्पारापट्टी (तमिल नाडु )

दक्षिण मंत्रालय ,  पप्पारापट्टी (तमिल नाडु ) पूज्याय राघवेन्द्राय सत्यधर्मरताय च । भजतां कल्पवृक्षाय नमतां कामधेनवे ॥ज्यादातर लोग ये जानते

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Ontimitta Rama Temple,Kadapa,Andhra Pradesh

ఒంటిమిట్ట శ్రీ కోదండ రామాలయం ఈ విగ్రహాలకు జాంబవంతుని చేత ప్రాణ ప్రతిష్ట గావించబడింది. త్రేతాయుగంలో విశ్వామిత్రుడు తన యాగ సంరక్షణకోసం శ్రీ రామ,లక్ష్మణులను  చిన్నతనంలోనే ఈ

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कर्क राशि से सम्बंधित मंदिर – कर्कटेश्वर शिव मंदिर

कर्क राशि से सम्बंधित मंदिर – कर्कटेश्वर शिव मंदिर कर्कटेश्वर शिव मंदिर तिरुदेवांकुडी , कुम्बकोणम , तमिल नाडु में स्थित है। माना जाता है की यहाँ एक करकट (केकड़ा) ने शिव की आराधना की। इसीलिए यह मंदिर कर्क राशि के लोगो के लिए महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में चन्द्र देव (जो कर्क राशि के आदि देव है ) के लिए भी एक पावन स्थल है। शिव को यहाँ करकटेश्वरं कहा जाता है। यह स्थान हरे भरे खेतो बीच है और स्थानीय लोग इसे कोइल (करकट) मंदिर कहते है। इस स्थान पर एक वन हुआ करता था जिसके पेड़ औषधीय थे और इनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाई बनाने में किया जाता था। इस स्थान पर ९ कुंड जय जिनका जल जड़ी बूटियों के साथ इस्तेमाल किया जाता था। इसी समय माता की मूर्ती प्राप्त हुई और उन्हें अरुमारुन्धु नायकी (औषधियों की देवी) के नाम से जाना जाता है। एक विशेष तेल से इनका अभिषेक होता है और भक्तो में बटता है। रोगो से मुक्ति हेतु यहाँ पूजा होती है। एक महान संत तिरुज्ञानसम्बन्धार ने भगवान शिव को “पीनी निकूम शिवं ” (जो रोग मुक्ति करते है ) के नाम से सम्बोधित किया है। देवी के लिए यहाँ एक और स्थान है जहा उन्हें अपूर्वा नायकी (दुर्लभ रूप) के नाम से जानते है। वास्तुकला के दृष्टिकोण से यह मंदिर बोहोत प्राचीन है और अनेको शिलालेख तथा कलाकृतियाँ दर्शनीय है। मंदिर दौरे की कालावधि – सुबह ९ से १:३० और शाम ४ से ७ तक दूरध्वनी क्रमांक – 91-435-2000240, 9994015871

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ओम्कारेश्वर – जहाँ आदि शंकर अपने गुरु से मिले

ओम्कारेश्वर – जहाँ आदि शंकर अपने गुरु से मिले  ओम्कारेश्वर मध्यप्रदेश में स्थित है और भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों

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