भगवान वट्टकोरुमकन और नारियल तोड़ने वाला अनुष्ठान
स्थान: – केरल का मालाबार क्षेत्र।
कन्नूर शहर पश्चिमी घाट और अरबसागर के बीच स्थित है। इस स्थान ने अरब और यूरोप से तथा देश के भीतर से हुए कई हमले देखे है। इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व यह भी है की हिंदू धर्म के अलावा – बौद्ध धर्म और जैन धर्म से सम्बंधित है।
मुख्य देवता: – भगवन वट्टकोरुमकन या वेट्टेक्कारन(शिव जी के शिकारी के रूप में) पूजे जाते है। भक्तो का मानना है की वे भगवान किरात (शिव के शिकारीअवतार ) और देवी कीरति (पार्वती) के पुत्र है। भगवान वट्टकोरुमकन, भगवान अयप्पा का एक रूप है।
इतिहास : – महान महाकाव्य महाभारत में, जब अर्जुन दिव्य हथियार प्राप्त करने के लिए तपस्या कर रहे थे , तब भगवान शिव ने उसकी परीक्षण करना चाहा । शिव और पार्वती के शिकारी के रूप में आए और एक जंगली सूअर को अर्जुन की तपस्या तोड़ने के लिए कहा । अर्जुन सूअर पर एक तीर छोड़ा और उसी समय भगवान शिव का भी एक तीर उसपर लगा । दो योद्धाओं के बीच उस सूअर पर एक युद्ध छिड़ गया। अर्जुन के तीर सभी भगवान शिव द्वारा बेकार कर दिए जाते थे। हार का सामना करते हुए अर्जुन ने कुछ फूल उठाया और पास के एक शिवलिंग की पूजा शुरू कर दि। पूजा के फूल शिकारी के शरीर पर उभरते देख अर्जुन ने उसे पहचान लिया और उसके पैरों पर गिर गया। प्रभावित होकर भगवान शिव ने अर्जुन को दिव्य शस्त्र दे दिए । इसके पश्चात भगवन शिव और पारवती को शिकारी रूप में जंगल में एक बच्चा हुआ । इस बच्चे को भगवान वट्टकोरुमकन के रूप में जाना जाता है। भगवान वट्टकोरुमकन ,भगवान विष्णु द्वारा केरल की रक्षा के लिए भेजा गया था।
महोत्सव: – यहां मुख्य समारोह जनवरी में आयोजित किया जाता है। यह निलाम्बुर पटटु उत्सवम है। इस समारोह को शाही परिवार के नेतृत्व में किया गया है। इसे पट्टाम्बि के पास एक नम्बूथरी परिवार द्वारा किया जाता है। इस समारोह में एक के बाद एक 12,000 नारियल तोड़ते है। नारियल को चंदा मेलम (भक्ति संगीत) की लय पर तोड़ते हैं। यह गति काला प्रमाणं के अनुसार बदलटी है। वे संगीत की ताल के अनुसार अत्यंत एकाग्रता के साथ दोनों हाथों का उपयोग कर नारियलों को तोड़ते है । यह दृश्य देखते ही बनता है। इसे 9 बजे के बाद रात में प्रदर्शन किया जाता है । नीचे दिए गए संकेत स्थल में प्रदर्शन का एक वीडियो है
Location: Kannur, Kerala, India