महर्षि वाल्मीकि मंदिर – थिरुवन्मियूर
महर्षि वाल्मीकि मंदिर – थिरुवन्मियूर
महर्षि वाल्मीकि की जीव समाधी पर बना एक छोटा सा मंदिर तिरुवन्मियूर, चेन्नई में स्थित है। थिरुवन्मियूर का नाम थिरु-वाल्मीकि-ऊर से पड़ा। तमिल नाडु के १८ सिद्धो में से वाल्मीकि एक है। कई लोग ऐसा मानते है के ये वही है जिन्होंने रामायण लिखी है।
महर्षि वाल्मीकि बाल्मीकि संप्रदाय के महा गुरु है। इनकी जयंती उत्तर भारत के कई मंदिरो में मनाई जाती है।
यह मंदिर मरुन्दीश्वरर का शिव मंदिर है। इस चित्र में आप देख सकते है कि वाल्मीकि मंदिर रस्ते के बीचो बीच है और राष्ट्रीय मार्ग बनवाने वाले इस मंदिर को हटाने की बात कर रहे थे परान्तो भक्तो के दबाव में आकर यह मंदिर बच गया कुछ दशक पहले यह मरुन्दीश्वरर था। पूर्वी तट के मार्ग का निर्माण १९९८ में हुआ। इसके पहले चेन्नई से पांडिचेरी तक OMR मार्ग ही था।
मरुन्दीश्वरर शिव मंदिर में भगवान शिव ने अगस्त्य को औषधिओ ज्ञान दिया था (तमिल में मरुंडु – औषधि ) । इस मंदिर में रोग मुक्ति हेतु पूजा होती है। त्वचा के रोगो से निवारण करने के लिए लोग पूरनमासी के दिन पूजा करते है।
किसी भी भव्य मंदिर एक संत से सम्बन्ध रखता है। उदाहरणार्थ – पलानी मंदिर सिद्ध भोगार के साथ, मिनाक्षी मंदिर सुन्दरकाण्ड के साथ ,श्रीरंगम श्री रामानुज के साथ इत्यादि। इसी तरह मरुन्दीश्वरर अगस्त्य और वाल्मीकि के साथ सम्बंधित है।
वाल्मीकि ऋषि कुचलवापुरीश्वरर शिव मंदिर से भी सम्बंधित है। यह मंदिर कोयम्बेडु , चेन्नई में है। इस मंदिर में यह मानते है की वाल्मीकि लव और कुश (श्री राम के पुत्रो) के साथ थे। इस मंदिर की कलाकृतियाँ यह घटना दर्शाती है।
तिरुपथुर शिवगंगा जिले , तमिल नाडु में एक और वाल्मीकि मंदिर है। इस जगह पर महर्षि वाल्मीकि ने तप किया था। इस मंदिर के शिलालेख इस बात को दर्शाते है।