हरिसिद्धि काली मंदिर, उज्जैन
काली मंदिर उज्जैन
भारत के इतिहास में उज्जैन का शहर अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ दो काली मंदिर है – एक राजा विक्रमादित्य द्वारा पूजित और दूसरी महा कवि कालिदास द्वारा। उज्जैन का यह काली मंदिर ५२ शक्ति पीठो में से एक है। यहाँ देवी की कोहनी गिरी थी पर कई लोग यह भी मानते है की यहाँ देवी के होंठ गिरे थे।
उज्जैन ७ मोक्ष पूरी में से भी एक है। यहाँ करीब १०८ शिव मंदिर है।
इस लेख में हम हरिसिद्धि काली मंदिर के बारे में विस्तार से देखेंगे।
मुख्य देवता – इस मंदिर में मुख्य काली माँ की प्रतिमा है जिन्हे चामुण्डा या रक्त दन्तिका के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा भगवान शिव (कपिलाम्बर) , देवी महालक्ष्मी , सरस्वती और देवी अन्नपूर्णा है।
इतिहास – अंधकासुर नाम के एक असुर का राज उज्जैन पर था। उसे यह वरदान प्राप्त की थी की उसके शरीर से एक भी बूँद रक्त अगर जमीन पर गिरा तो एक और अंधकासुर पैदा होगा। इसीलिए उसे मारना बोहोत मुश्किल था। शिव जी ने अपने त्रिशूल से उसे भेद दिया और महा काली उसका सारा रक्त पि गयी। इस तरह और अंधकासुर पैदा नहीं हो पाये।
वास्तुकला – मराठा राज्य के समय बनवाया गया। इस मंदिर के स्तम्भो में ७२६ दीप लगे हुए है जिन्हे नवरात्री पर जलाया जाता है। मंदिर के बहार देवी महामाया की एक भूमिगत मंदिर है जहा केवल पुरोहित जी ही जा सकते है।
मुख्य कक्ष में छत पर ५० देविओ के चित्र है। मंदिर में एक श्री यंत्र भी है। इसके अलावा अनेको प्रतिमाये है जो मध्ययुगीन काल को दर्शाती है
त्यौहार/समारोह – नवरात्री, दुर्गा पूजा , शिवरात्रि, श्रवण और कुम्भ मेले की पूजाएं यहाँ होती है। भक्त यहाँ मंगल चंडी मन्त्र जाप करते है।
नित्य यात्रा – यह एक पावन यात्रा है जिसमे भक्त पहले कुंड में स्नान कर देवी देवताओ के दर्शन करते है।
संपर्क –
पता : Jaisinghpura, Ujjain, Madhya Pradesh 456006
मंदिर दौरे की कालावधि : सुबह ३ ;३० से रात ११ तक
दिशा निर्देश :
हवाई अड्डा :- इंदौर
रेल :- उज्जैन रेलवे स्थानक
रोड से :- भारत के सभी मुख्य शहरों से इस मंदिर तक आसानी से यात्रा की जाती है।
Location: Ujjain, Madhya Pradesh, India