समर्थ रामदास महासमाधि – वीर शिवाजी के गुरु
समर्थ रामदास महासमाधि – वीर शिवाजी के गुरु
पराली जिले में सज्जनगढ़ नमक एक परवत पर खड़ा किला है जहा समर्थ रामदास स्वामी , छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु रहते थे और वही महा समाधी भी प्राप्त की।
उनका जन्म राम नवमी के दिन १६०८ में सूर्यजी पंत और रणुबाई के घर हुआ। उनका जन्म जांब गाव में औरंगाबाद में हुआ। यह गोदावरी के पास है। उनका बचपन का नाम सूर्याजी ठोसर था।
उन्होंने विवाह नहीं करके एक सन्यासी का जीवन व्यतीत किया। नाशिक जाकर उन्होंने १२ वर्षो की तपस्या की। वे मधुकारी संप्रदाय से सम्बन्ध रखते थे।
उन्होंने महाराष्ट्र के चारो ओर श्री हनुमान मंदिर स्थापना की और राम भक्ति का प्रचार किया। वे अद्वैत जीवनशैली में विशेष रूचि रखते थे। उन्होंने “दासबोध ” नामक मराठी में रचना लिखकर अद्वैत जीवन पर प्रकाश डाला। छत्रपति शिवाजी महाराज को भी उन्होंने १६४९ में मंत्र उपदेश सिखाया।
सन १६७६ में वे सज्जनगढ़ आये और राम तारका मंत्र का जाप शुरू किया। २२ जनवरी १६८२ में उन्होंने सज्जनगढ़ में महा समाधी प्राप्त की।