श्रृंगेरी : जगद्गुरु और अटूट विरासत
श्रृंगेरी : जगद्गुरु और अटूट विरासत
नैसर्गिक सुंदरता और पारम्परिक जीवन में रूचि रखने वाले लोग श्रृंगेरी का भ्रमण करते है। इस शहर और संस्कृति आपको २०० वर्ष पीछे ले जाएगी। अगुम्बी वन ने बीच यह स्थान है जहा से तुंगभद्र नदी बहती है। इस स्थान पर जाने का रास्ता हाल ही में खुला है।
श्री शरद मंदिर
आदि शंकराचार्य ने निर्माण की हुई चन्दन से बानी हुई मूर्ती है। शंकराचार्य के बाद एक आचार्य ने सोने की मूर्ति स्थापित की। नवरात्री यहाँ का मुख्य उत्सव है। वर्ष में बाकी दिनों पर और भी समारोह होते है।
श्री विद्याशंकर मंदिर
आचार्य श्री विद्याशंकर ने गुफा तपस्या करने हेतु अपने शिष्यों से गुफा का द्वार बंद करके कभी न खोलने के लिए कहा। १२ वर्षो बाद शिष्यों ने जिज्ञासा हेतु यह गुफा खोली तो उन्हें एक आधा बना हुआ शिव लिंग प्राप्त हुआ। यह मंदिर इसी शिव लिंग पर बना हुआ है। यहाँ चन्दन से बानी हुई श्री शारदा की मूर्ति भी है।
श्री मलयाला ब्रह्मा मंदिर
इस मंदिर के पुराणो के अनुसार इस मंदिर के देवता ब्रह्मा राक्षस है। आचार्य श्री विद्यारण्य इसी मंदिर से सम्बंधित है। उन्होंने इस तीर्थ स्थल का निर्माण किया।
निकट के अन्य तीर्थ स्थल – श्री जनार्दन स्वामी,श्री बाल सुब्रमण्य और अन्य आचार्यो के अधिस्थान भी यहाँ स्थित है।
श्री मालनहीकेस्वरर/मलिकार्जुन मंदिर – यह एक पुरातन मंदिर है जो शहर के बीचो बीच है।
श्री आदि शंकराचार्य मंदिर – यह हाल ही आचार्य श्री श्री भारती तीर्थ ने बनाया है।
श्री चतुर्मूर्तिश्वरा मंदिर – पुरानी श्रृंगेरी में स्थित
किग्गा शहर में ऋष्य श्रृंग मंदिर है। यहाँ भक्त बरसात के लिए पूजा करते है।
अभिभावक देवताओं के मंदिर – श्रृंगेरी की रक्षा के लिए आदि शंकराचार्य ने ४ देवताओ का मंदिर, गाव के ४ कोनो में स्थापित किया था।
पूर्व में काल भैरव मंदिर – श्री अभिनव तीर्थ महास्वामिगल और श्री श्री चन्द्र शेखर भारती महास्वामिगल साधना करते थे।
पश्चिम में केरे अंजनेय मंदिर
उत्तर में कलिकम्बा मंदिर
दक्षिण में दुर्गम्बा मंदिर
श्रृंगेरी शारदा पीठ श्री आदि शंकराचार्य और आचार्य ने स्थापित किया है। शंकराचार्यो के अधिस्थानम् नरसिम्हा वन में स्थित है। यहाँ सूचना पत्र लगाये हुए है जो सांपो से सावधान करते है।
आज के शंकराचार्य चंद्रमौलेश्वर शिव पूजा करते है जो रात ८ या ८:३० बजे की जाती है। यह नरसिंह वन के एक कक्ष में होती और भक्त गण इसे देख सकते है।
इस मठ में होम , यज्ञ इत्यादि भारत के कोने कोने से होती है। श्रृंगेरी में हमेशा ही यज्ञ होते रहता है। इस स्थान पर विशेष वस्त्र पहनने पड़ते है। भक्त कृपया इस बात का ध्यान दे।
इस स्थान का भ्रमण १-२ दिन सकता। करीब छुट्टी यहाँ बिताये ताकि निसर्ग, मंदिर और निकट के स्थानो का दर्शन हो सके.
इस लेख में जगद्गुरु श्री श्री भारती तीर्थ महा स्वामिगल की दिनचर्या दी गई है। हम में कितने लोग इस दिनचर्या को निभा सकते है ?
मठ के सचिव गौरीशंकर ने स्वामिगल दिनचर्या का वर्णन किया है। जगद्गुरु दिन में एक बार खाना खाते है और कभी कभार एक ग्लास दूध पीते है। वे योग भी करते है। यात्रा के समय भी वे यही दिनचर्या निभाते है। इसीलिए उन्हें बेंगलुरु (१९२ किमी) जाने में भी ३-४ दिन लगते है क्युकी वे दिन में २-३ घंटे से ज्यादा नहीं यात्रा करते। बैठक या सभा भी उनकी दिनचर्या के हिसाब से ही ठीक की जाती है।
४:३० – गुरूजी उठते है
५:०० – पहला स्नान
५:१५ – सुबह की पूजा , अनुष्ठान ,ध्यान
७:३० – गुरु के पादुका पूजन
८:०० – शिष्यों का शिक्षण। अक्टूबर २००० में वे तर्क और वैदिक शिक्षण देते थे।
९:०० अपनी पढाई
९:३० दर्शन के लिए बाहर आना। यहाँ अनेको विषयो पर चर्चा होती है। शुक्रवार को वे शारदा पूजा करने मंदिर जाते है।
१२:०० दूसरी बार स्नान , पूजा, ध्यान
१:३० गुरुओ की समाधी पर पूजा करना फिर भोजन करना
२:३० विराम
३:०० शिष्यों का शिक्षण।अनेको विषयो पर चर्चा होती है।
४:१५ उन्हें मिली हुई चिट्ठिओ का उत्तर
५:०० दर्शन के लिए बाहर आना
६:३० मठ के दिन के कारोबार के बारे में चर्चा करने के लिए व्यवस्थापक से मिलना
७:०० विराम
७:३० स्नान और संध्याकाळ की पूजा और ध्यान
८:१५ चंद्रमौलेश्वर और अन्य देवताओ की पूजा जो शंकराचार्य के समय से चली आ रही है और हर दिन होती है
१०:०० अपने कक्ष में जाते है और पढाई करते है
११:३० विराम
सन्दर्भ – Hinduism Today Magazine
Location: Sringeri, Karnataka 577139, India