श्रीरंगम मंदिर और श्री रामानुज का देह
श्रीरंगम दूसरा सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है । अंकोर वाट के बाद ये मंदिर भव्यता में १५५ एकर और ७ परिक्रमाओं जितना बड़ा है। यह मंदिर श्री विष्णु को समर्पित है। ये एक स्वयंवक्ता मंदिर है जिसके उत्पन्न की गाथा इतिहास में कहीं नहीं है। यह मंदिर आदि शंकराचार्य के समय काफी प्रसिद्ध था। यह कहा जाता है की आदि शंकराचार्य खुद यहाँ आकर भगवान के लिए रंगनाथाष्टकम् गाते थे। यह मंदिर वास्तुकला के एक सुखद अनुभूति के रूप में खड़ा है। इस लेख तथा नीचे दी गयी कड़ियों में इस मंदिर के वास्तुकला की एक झलक दिखाई पड़ती है -इंटरनेट पर इस मंदिर के बारे में काफी जानकारी उपलब्ध है तथा इस मंदिर के बारे में काफी रचनायें भी लिखी गईं है। इस मंदिर की कुछ विशेस्तायें निन्मलिखित है –
१. धन्वन्तरी – आयुर्वेद के रचैता धन्वन्तरी के नाम पर भारतवर्ष में बोहोत से मंदिर उभरे है। आजकल युर्वेद की चर्चा भी काफी की जाती है पर ये बहुत काम लोग जानते है की श्रीरंगम में १०० सालो से भी ज्यादा अवधि से धन्वन्तरी का पावन स्थान है। यह स्थल मंदिर के चौथे प्रहर में है। दुनिया भर से भक्त अपने रोग मुक्ति तथा अन्य पीडाओ से मुक्ति हेतु यहाँ पूजा अर्चना करते है। कुछ वर्ष पहले तक यहाँ एक विशेष औषधी प्रसाद के रूप में दी जाती थी पर आज कल यह प्रथा नहीं रही। अब तुलसी पत्र तथा तुलसी जल प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।
२. संत रामानुजाचार्य – वैष्णव परंपरा के महान संत श्री रामानुज भी इस मंदिर से सम्बंधित है। यहाँ उनका
भी तीर्थ स्थल है। आश्चर्य की बात यह है की लोग कहते है की उनके स्थान पर उनका देह विराजमान है। उनका शरीर पूरी तरह से स्थिर और पथराया हुआ हो चूका है। पास से देखने पर आँखे एवं नाख़ून दिखाई पड़ते है। इस देह का अभिषेक नहीं होता परन्तु इसे दिन में दो बार विशेष जड़ी बूटियों से साफ़ किया जाता है। इतिहास के पास काफी प्रमाण है की ये देह सचमे रामानुजाचार्य का ही है। मंदिर की कलाकृतियां, कई रचनायें भी इस बात का उदहारण देती है। हालांकि बोहोत से लोग यह भी मानते है की ये असत्य है। चाहे जो भी हो ये एक विलक्षण दृश्य है। इस देह की रासायनिक संरचना अभी तक गोपनीय है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति में रूचि रखने वाले यहाँ श्री रामानुज के देह स्थल पर पूजा अर्चना कर सकते है। यहाँ भी तुलसी पत्र का प्रसाद प्राप्त होता है।
३. सुदर्शन चक्र – इस मंदिर परिसर में भगवान सुदर्शन का भी पावन स्थल है। भगवन विष्णु ने धारण किया
हुआ सुदर्शन चक्र भी इन्ही का है। माना जाता है की छोटी छोटी यातनाओ से राहत भगवन का चक्र ही दिल
सकता है. इसलिए देवी शक्ति की रक्षा मांगने के लिए (शत्रु या प्रकृति से रक्षा ) लोग यहाँ आते है। इस मंदिर की सबसे बड़ी बात इसकी भव्यता है -देवताओ की मुर्तिया तथा मंदिर के गलियारे, स्तम्भ इत्यादि । भक्त यहाँ कई दीपक जलाकर अर्चना करते है। जितनी बड़ी परेशानी उतने ही ज्यादा दीपक। अपने निकट जनो के लिए भी लोग यहाँ दीपक जलाते है।इस विशालकाय मंदिर के गौरव के बखान का कोई अंत नहीं है। कदाचित इसकी महिमा हम अलग से किसी लेख में कर पाये।
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