दरासुरम शिव मंदिर – कुम्बकोनम
दरासुरम शिव मंदिर – कुम्बकोनम
थन्जावुर से १ घंटे की दूरी पर करीब ४ किलोमीटर कुम्बकोनम के पास एक प्राचीन एवं संरक्षित शिव मंदिर है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूची में भी है ।
मुख्य देवता : अन्य शिव मंदिरो की तरह, शिव जी यहाँ एक भव्य शिव लिंग के रूप में है। देवी को यहाँ देवनायकी के रूप में जानते है। मंदिर में प्रवेश करते ही एक भव्य नंदी प्रतिमा है। इसके अलावा यमदेव और श्री गणेश की भी मूर्ती यहाँ पर है।
वास्तुकला : यह मंदिर १२ वि सदी में चोला के राजा के राज्य में बनवाया गया। यहाँ सूक्ष्म शिल्पकला से बानी मूर्तिया है। बृहदीश्वर या गंगईकोंडा चोलपुरम के जैसी ही वास्तुकला इस मंदिर में है परन्तु उन दो मंदिरो जितना भव्य नहीं है।
मुख्य मंडप में बोहोत सारे स्तम्भ है जिनपे शिलकार्य किया गया है। इस मंदिर का विमानम् २४ फुट ऊँचा है। मंदिर के दक्षिण में एक रथ, जो घोड़ो से जुता है। मंदिर के बगल में, सात देवियां या सप्त माता की नक्काशी है। इस मंदिर की एक खास विशेषता इसकी बलि का घाट है । इस आसन के दक्षिण में , 3 पत्थर नक्काशीदार कदम है जहा मारने पर संगीतमय ध्वनि आती है।
मंदिर में एक विशाल उद्यान है। दीवार पर चित्र कला, संगीत और नृत्य के विभिन्न रूपों को दर्शाती है। उत्तरी दीवार विभिन्न ऋषियों और संतों के स्तोत्र और अन्य कई शिलालेख है
विशेषताए : I. कहा जाता है की ऋषि दुर्वासा के शाप से – ऐरावत जो देवेन्द्र के सफ़ेद हाथी थे, परिवर्तित हो गए। तब उन्होंने शिव जी से प्रार्थना की और मंदिर के कुण्ड में नहाकर अपना सफ़ेद रंग वापस पाया।
इस मंदिर के कुण्ड को यमतीर्थम भी कहा जाता है क्युकी यहाँ याम देव ने स्नान किया था। इस कुण्ड में नहाने से रोग दूर होते है।
पता : Gurunathan Pillai Colony, Darasuram, Kumbakonam, Tamil Nadu 612702, India
कालावधि : सुबह ५ से शाम ७ तक
हवाई अड्डा : त्रिची
रेल : यह चेन्नई-तंजोर मार्ग पर तमिल नाडु और बैंगलोर के सभी शहरों से जुड़ा है
दिशा निर्देश : चेन्नई से ३८० किमी और तंजावूर से ३५ किलोमीटर
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