OthersUncategorized

त्रिकोड़ीथानम् महा विष्णु मंदिर – केरल

माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण सहदेव – पंचम पांडव ने किया था। यह मंदिर चंगनशेर्री शहर में स्थित है। भगवान श्री विष्णु के १०८ धार्मिक स्थानो में से यह एक है। संत नम्माल्वार ने इस मंदिर की कई बार चर्चा की है। इतस मंदिर के दीवारो पर अनगिनत कलाकृतियां तथा शिलालेख है। यह कलाकृतियां इस मंदिर के पुरातन महत्व का बखान करती है। पुरातन काल में यह मंदिर शिक्षण का केंद्र था।  यह मंदिर केरल की परंपरा तथा वास्तु विद्या का उचित उदहारण है। यहाँ पर आज भी वेदों द्वारा स्थापित नियमो के अनुसार ही पूजा की जाती है।

इस मंदिर की सीमादिवारी काफी भव्य है और इसे एक विशेष निर्माण कला से बनाया गया है। भगवान की  मुख्य प्रतिमा जिन्हे “अर्पुथ: नारायण ” कहा जाता है पूर्व मुखी होकर खड़े है।  इनके हाथो में शंख , चक्र, पद्म फूल , गदा है। इस मंदिर के अन्य देवता है – राधा नारायण , गणेश, शिव , दक्षिणमूर्ति नरसिंह और सस्त।  संतान हीं दंपत्ति यहाँ संतान प्राप्ति हेतु पूजा करते है।

इस मंदिर के पास एक पानी का कुंड है जिसमे पांच झरनो का पानी एकत्र होकर बहता है। हर झरने के पानी का रंग अलग है और इन सभी के मिलाप को – पंच तीर्थ कहते है।

इस मंदिर में एक अनूठी प्रतिमा है।  इस प्रतिमा का भेष ऐसा है – यह व्यक्ति स्तम्भ पर अपना संतुलन बनाये लेटा हुआ है और उसके हाथ में शंख है। एक रहस्यमई बात यह है कि  यह आज तक पता नहीं चला है की ये किसकी प्रतिमा है या इस प्रतिमा की विशेषता क्या है।

इस मंदिर में १० दिनों का एक त्यौहार मनाया जाता है। ९ वे दिन पर एक भव्य दीपक केले के तने तथा पत्तियों से बनाया जाता है। यह दीपक सम्पूर्ण रात्रि जलता रहता है।  केवल एक लेख लिखकर इस मंदिर की महानता का बखान करना संभव है।  यह मंदिर देखते ही बनता है।

मंदिर दौरे की कालावधि – प्रातः ५ से ११ तक और संध्याकाल ५ से ११ तक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *