तिरुविडैमरुधुर शिव मंदिर कुम्बकोनम
तिरुविडैमरुधुर शिव मंदिर कुम्बकोनम
यह मंदिर कुम्बकोनम के महान शिव मंदिरो में से एक है। ये बात अत्यंत आश्चर्यजनक है की यह मंदिर मीनाक्षी या चिदंबरम मंदिर जैसा जनप्रिय नहीं है |इस मंदिर का परिसर सुन्दर एवं भव्य है । यह मंदिर एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है और यहाँ कई प्रहर तथा परिक्रमाएं होती है । मुख्यद्वार पर नंदी की एक भव्य प्रतिमा है । इस मंदिर के शिवलिंग की ऊंचाई एक मनुष्य की ऊंचाई जितनी है । महा अद्वैत श्री आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर में शिव भगवान की पूजा की है। पहले प्रहार को प्रणव प्रहर कहा जाता है । इस मंदिर की विशेष बात ये है की यहाँ प्रहरों की परिक्रमा को पूजा माना जाता है । दूसरे प्रहर को अश्वमेध कहा जाता है और इस प्रहर की परिक्रमा अश्वमेध यज्ञ के पुण्यों का लाभ देती है । यह मंदिर केवल दूसरा ऐसा मंदिर है जहा नक्षत्र लिंग स्थापित है । हर २७ तारको के लिए एक शिवलिंग है । अलग अलग नक्षत्र में जन्मे लोग अपने अपने शिवलिंग की पूजा करते है और उसी शिवलिंग के दीप जलाते है । इस मंदिर के प्रमुख देव को महालिंग स्वामी के नाम से जाना जाता है और यहाँ ब्रह्महत्या दोष से निवारण होता है । इस दोष से निवारण हेतु विशेष पूजा की जाती है । महालिंग स्वामी के पीछे ५ लिंग (जो ५ धातुओ का प्रतिनिधित्व करते है) विराजमान है । यहाँ एक सहर्ष लिंग (एक शिवलिंग जो १००८ लिंगो से बना हो) भी स्थापित है । अधिक जानकारी की लिए चित्र देखे – इस मंदिर में एक विशाल दीपक (पावइ विलाकु) है जिसे महारानी ने अपनी श्रद्धा के चिन्ह के रूप में स्थापित किया है। यह दीपक मुख्या द्वार पर है और उसकी ऊंचाई १२० सेंटीमीटर और वजन ४११ ३/४ चेर है । यह दीपक पीतल का
बना हुआ है ।यहाँ देवी माँ के दो पवित्र स्थल है और ये ५१ शक्ति पीठो में से एक है । देवी यहाँ बृहत्सुन्दरा गुजाम्बिका के नाम से जानी जाती है। दूसरा स्वरुप है मूकाम्बिका जहा श्री यन्त्र स्थापित है ।
इस मंदिर के बहार एक तालाब है जो वर्ष भर भरा हुआ रहता है । इस तालाब में भक्त स्नान भी कर सकते है । मंदिर के भीतर सिंह तीर्थ है जो एक सिंह के आकर का कुँवा है । इस तीर्थ का दर्शन सिर्फ कुछ अवसरों पर ही प्रदान होता है । माना जाता है की इस कुवें में विशेष यन्त्र लगे हुए है । इस मंदिर का रथ शिल्पकला का एक अद्भुत नमूना है । हिन्दू संत पत्तिनाथर और भद्रकीरियर इस मंदिर के बाहरी परिसर में बोहोत वर्ष रहे है । श्री श्रीधर अय्यवल भी इस मंदिर के देवता से सम्मिलित हुए है । धर्म, शिल्पकला, वास्तुकला, भव्यता, गौरव और परंपरा में रूचि रखने वालो के लिए इस मंदिर को देखना अनिवार्य है ।
Location: Tiruvidaimarudur Conservation Reserve, Temple Road, Thiruvidaimaruthur, Tamil Nadu 612104, India