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गढ़ देवी मंदिर , मढ़ौरा, बिहार

गढ़ देवी मंदिर , मढ़ौरा, बिहार 

मढ़ौरा के एक कोने में स्थित , सारण  जिले में बेस इस क्षेत्र में एक मंदिर है जो देवी माँ दुर्गा को अर्पित है।  इस मंदिर को गढ़ देवी मंदिर कहते है।  मंदिर के इतिहास के अनुसार यह माना जाता है की माँ दुर्गा यहाँ मढ़ौरा में थावे (गोपालगंज) तक की अपनी यात्रा में रुकी थी।  इस मंदिर की यात्रा करने वाले भक्तो को बड़े शहरों की सुविधाये प्राप्त नहीं होती परान्तो गाव में बेस इस मंदिर की अपनी अलग ही सुंदरता है।  यहाँ गढ़देवी मेले में स्थानीय व्यवसाय करने वाले खिलोने, खाने पिने की वास्तु, अन्य घर की वस्तुए बेचने आते है।

स्थान : मढ़ौरा , सारण जिला , बिहार।  इस छोटे से शहर की बोहोत समृद्ध इतिहास और परंपरा रह चुकी है।  एक समय पर यहाँ भारत के ३ बड़े फैक्ट्री हुआ करते थे – सारण मिल , चीनी मिल और मोरटन मिल।  सरकारी व्यवस्था के आभाव की वजह से ९० के दशक में एक के बाद एक ये फैक्ट्रियां बंद हो गई।

मुख्य देवता – यहाँ देवी माँ दुर्गा को पूजा जाता है।  सोमवार और शुक्रवार के दिन विशेष पूजाएं होती है और इस मंदिर में इन दिनों भक्तो की बोहोत भीड़ रहती है।  हिंदी में गढ़ का अर्थ है पर्वत, इसीलिए देवी माँ को पर्वत पुत्री भी कहा जाता है।  एक विशेष श्लोक कुछ ऐसा है –

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

इस श्लोक का अर्थ है  – हे पर्वत कन्या जो हमारे जीवन को सुख से भर देती है।  जिनके गुणगान विंध्याचल से  नंदी करते है।  जो श्री विष्णु की बेहेन है और देवेन्द्र जिनके गुणगान करते है।  महादेव शिव की सहचारिणी, दुखो और असुरो का विनाश करने वाली तुम्हारे जय हो!

इस मंदिर में दुर्गा के तीन स्वरुप – महा लक्ष्मी , महा सरस्वती और महा काली की पूजा की जाती है।  माँ दुर्गा के अलावा इस मंदिर में अन्य देवी देवताओ के भी पवित्र स्थल है।

इतिहास – स्थानीय लोगो में प्रचलित कई कहानिया है जो इस मंदिर के बारे में कही जाती है।  इनमे से एक है – दक्ष यज्ञ के उपरांत जब शिव जी सती के जलते हुए देह को लेकर तांडव करने लगे ; तब विश्व का विनाश रोकने हेतु श्री विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के देह के टुकड़े कर डीए. जहा भी यह टुकड़े गिरे एक शक्ति पीठ उभरा।  मढ़ौरा के इस स्थान पर सती के पावन रक्त की कुछ बुँदे पड़ी थी।

एक और कहानी यह है की चीनी मिल के निर्माण के दौरान माता की अवहेलना करने से एक के बाद एक बढ़ाये आ रही थी।  तब सभी लोगो ने कई दिनों तक माता की पूजा की और पूजा के पश्चात मिल आसानी से बन गया।

इस तरह के मंदिर स्थानीय लोगो में लोकप्रिय है परन्तु बाहरी लोग इन मंदिरो के बारे में जानते भी नहीं।  तकनिकी सुविधाये और इंटरनेट के द्वारा हमारी यह छोटीसी चेष्टा है की लोग इन स्थानो का भ्रमण करे , मेले में भाग ले और अपने साथ समृद्ध इतिहास के कुछ क्षण ले आये।

त्यौहार/समारोह  – दुर्गा पूजा का त्यौहार यहाँ बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।  भक्त यहाँ विवाह में आनेवाले समस्याओ या संतान प्राप्ति या अन्य मनोकामनाए पूरी करवाने के लिए पूजा करते है।  माना जाता है की देवी माँ नवरात्री के समय किसी भी भक्त को खली हाथ नहीं भेजती।

कालावधि – ९:३० से दोपहर १:३० तक और दोपहर ४:३० से शाम ७:३० तक

दिशा निर्देश  – राज्य की राजधानी पटना से यह स्थान अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।  निकट का हवाई अड्डा पटना का है और निकटतम रेलवे स्थानक मढ़ौरा जंक्शन है।

निकट के स्थान  – भारतीय रेल डीसल फैक्ट्री (निर्माण में)

Location: Marhowrah, Bihar, India

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