क्कल जिले में स्थित है। यह जगह मुरुगन मंदिर के साथ ही शिव मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। इस लेख में हम शिव मंदिर पर ध्यान देंगे।
प्राचीन समय में इस जगह को भी थिरुकोडिमादाचेन्कुंडरूर बुलाया जाता था। यह मंदिर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है।
मुख्य देवता: – इस मंदिर के इष्टदेव भगवान शिव है। यहां भगवान शिव को अपने अर्द्ध नारीश्वर (आधापुरुष – आधा महिला) अभिव्यक्ति में देखा जाता है। यह शिव और शक्ति (पार्वती) का सम्मिलित रूप है।
यहा भगवान नटराज, भगवान भैरव, सुब्रमण्य, श्री योगचण्डिकेश्वर , सूर्य देव , भगवान योगदक्षिणमूर्ति ,जरा देव , वीरभद्र,पंचलिंगम् , महालक्ष्मी,शस्त , भगवान सिद्धि विनायक, शनिदेव, शेषनाग औरनागरानी के लिए धार्मिक स्थल हैं।
इतिहास : – कहा जाता है की भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत की यात्रा करने वाले सभी देवताओं को , पहले देवी पार्वती का आशीर्वाद लेना जरूरी माना जाता है। एक दिनऋषि भृंगी, कैलाश आये भगवान शिव को देखने के लिए कामना की।उन्होंने देवी पारवती से मिलने से मन कर दिया । इससे क्रोधित, पार्वती ने ऋषि का एक पैर काट दिया साधु ने कहा की वे केवल शिव जी का आशीष चाहते थे और शक्ति के आशीर्वाद की जरूरत नहीं है। उन्होंने अपनी बात को विस्तार से बताया और ईमानदारी से माफी मांगी। भगवान शिव को उनकी भक्ति का एहसास हुआ और उन्होंने एक अतिरिक्त पैर उन्हें देकर अपना आशीर्वाद दिया।
इस घटना के बाद पार्वती ने केदार गोवरी व्रत शुरू करने का फैसला किया। उनकी इच्छा थी की कोई भी अगर शिव की पूजा करे तो शक्ति की पूजा होगी। तपस्या के पूरा होने पर भगवान शिव ने अपने अर्द्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिए।
एक अन्य कथा राजा रवि वर्मन की है जो एक महान शिव भक्त थे। उनका पुत्र कुलशेखरन बीमार था और कोई चिकित्सक उन्हें ठीक नहीं कर पा रहा था। एक दिन राजा से एक दूसरे शिव भक्त मिले और इस पर्वत पर भगवान की पूजा करने के लिए राजा को सलाह दी। जल्द ही, उनका बेटा ठीक हो गया। राजा रवि वर्मन ने अपनी भक्ति के उपलक्ष्य में इस मंदिर का निर्माण किया।
वास्तुकला: – इस मंदिर का परिसर बोहोत साफ और भव्य हैं। फर्श ग्रेनाइट से बनवाया गया है है। मंदिर का गोपुरम पांचस्तरीय है और उसपर आदिशेष (शेष नाग – सभी नागाओं के राजा) की एक छवि है।
श्री सुब्रमण्यम के लिए मंदिर पहाड़ी के शीर्ष पर एकसमतल क्षेत्र पर स्थित है। मुख्य गर्भगृह के पीछे श्री मुरुगन के लिए एक मंदिर भी मौजूद है। यहाँ के पवित्र कुंड को सांगू तीर्थम कहा जाता है। यह मंदिर के पश्चिम की ओर है।
मुख्य मूर्ति या अर्द्धनारीश्वर की प्रतिमा 7 फुट लंबी है।इन्हे एक तरफ पुरुष और दूसरी तरफ महिला के वस्त्रो में सजाया जाता है। अन्य मंदिरों के विपरीत, उत्सव मूर्तिकाफी भव्य है और एक संलग्न क्षेत्र में स्थित है।
त्योहार/ प्रार्थना: – भक्त यहाँ विशेष पूजाअपने प्रियजनों के साथ एकजुट होनेके लिए करते हैं। लोग यहाँ बच्चे के जन्म और शादी में समस्याओं को हल करने के लिए प्रार्थना करते हैं। मंदिर परिसर के बाहर एक नदी है। नदी को गर्भ (कारू-पीएआई) का स्वरुप मन गया है। संतान प्राप्ति के लिए लोग इस नदी में डुबकी लिया करते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है की इस नदी के पवित्र जल का सेवन किसी भी बीमारी का इलाज कर सकता हैं।
यहाँ का मुख्य प्रसाद इमली है। यह मीठा और खट्टा दोनों है इसीलिए इस पदार्थ को स्त्री और पुरुष के सम्मिलन की एक सही परिणति है यह माना जाता है।
अमावस और पूर्णिमा के दिन सैकड़ो भक्त मंदिर में आते हैं। देर रात में एक विशेष पूजा जिसे अर्ध जन्म पूजा कहते है यहाँ इस मंदिर में की जाती है।
मंदिर दौरे की कालावधि – सुबह ६ बजे से ११:३० तक और दोपहर ४:३० से ८:३० तक
पता: -वसुदेवनाल्लुर -627 758.तिरुनेलेली जिला।
दूरध्वनी : – + 91- 94423 29420।
दिशा निर्देश – यह मंदिर इरोड से 18 किलोमीटर की दूरी पर है और नमक्कल से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बस द्वारा – तिरुचेंगोडे के लिए बसें इरोड, सलेम और नमक्कल से चलती हैं।
वायु द्वारा – निकटतम हवाई अड्डा त्रिची है
ट्रेन द्वारा – निकटतम रेलवे स्टेशन इरोड है।
Location: Vasudevanallur, Tamil Nadu 627758, India