कोडगनल्लूर विष्णु मंदिर , तिरूनवेली
कोडगनल्लूर गाव तिरूनवेली से १५ किमी पर शेर्मन माँ देवी मार्ग पर है। इस पुरातन गाव में ३ महत्वपूर्ण मंदिर है। इन मंदिरो के शिललेकख इनकी गाथा सुनाते है। यह तमिल साहित्य का बखान करते है। मंदिर की सबसे पुरानी शाखा – श्रृंगेरी मठ कोडगनल्लूर तथा इसपर ध्यान देने की ज़रूरत है। श्री कोडगनल्लूर सुन्दर स्वामिगल इस गाव में अपेय दीक्षित के घर जन्मे तथा वें एक जाने माने अद्वैतिक गुरु रह चुके है।
१) श्री कैलाशंतर शिव मंदिर – ९ नव कैलाश मंदिरो में से एक और मंगल दोष के लिए परिहार मंदिर भी है।
२) श्री अबिमुक्तेश्वरर शिव मंदिर – में कोडगनल्लूर स्वामिगल ने सहायता की थी
३) कोडगनल्लूर पेरुमल मंदिर – इस मंदिर को बृहं माधव पेरुमल या पेरियपिरण भी कहा जाता है। कर्कोटग नामक (हिन्दू पुराणो में चर्चित ) सर्प के नाम से इस गाव का नाम पड़ा।
विशेषतायें :-
१) इस मंदिर में सर्प दोष या नाग दोष परिहार (जैसा कालाहस्ती में किया जाता है) हेतु पूजा होती है। यह पूजा विवाह तथा सन्तान प्राप्ति के कष्टो से मुक्ति के लिए भी की जाती है।
२) इस मंदिर में एक विशेष पूजा की जाती है जो विषैले दंश प्रभाव हटाने में सहायता करती है। यह पूजा भगवन गरुड़ की होती है। भगवन गरुड़ अमृत कलश के साथ यहाँ विराजमान है। यह अवतार कम मंदिरो में ही दिखाई पड़ता है।
कोडगनल्लूर सुन्दर स्वामिगल : स्वामिगल का जन्म गंगैकोंडन में श्री यग्नेश्वेर सस्त्रीगल और श्रीमती कमटची अम्मल के घर अप्पेया दीक्षिधर गोत्र में हुआ। उनका जन्म ३ दिसंबर १८३१। उन्होंने नित्य शिव पूजा लाख शिव पंचत्चर जाप किये। उन्होंने हिमालय, काशी की यात्रा की और अनेक संतो तथा योगिओ से मिले। सन १८७० में उन्होंने पहला कुम्बाभिषेक, अरिमलाम में किया। इसके बाद उन्होंने कई जगहों पर कुम्बाभिषेक किये। काशी से शिव लिंग ले आकर पथमदै केशवसमुद्रम शिव मंदिर में उसकी स्थापना की।
सुन्दर स्वामिगल की महासमाधि , पुडुकोट्टई, अरिमाज़हम गाव में है। उन्हें २१ अक्टूबर १८७८ में महासमाधि प्राप्त हुई।
पालमदै में एक और महान गुरु जन्म इसी परिवार में हुआ। इनका नाम था शिवानंद स्वामिगल जो ऋषिकेश से है।
Location: Kodaganallur, Tamil Nadu 627010, India